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पण्डित विद्यानिवास मिश्र भारत-विश्रुत विद्वान्, भारतीय जीवन-मूल्यों, संस्कृति, कला, संगीत एवं लोक-जीवन के अप्रतिम व्याख्याता के साथ ही हिन्दी एवं संस्कृत साहित्य की रचना और धर्म-दर्शन को नई ऊर्जा से सम्पन्नतर करने वाले एक प्रकाशमान स्तम्भ थे। पं० विद्यानिवास मिश्र की पत्नी श्रीमती राधिका देवी भारतीय नारी की प्रतिमूर्ति थीं। उनकी सहजता, सहृदयता, आतिथ्य एवं लोक-परम्परा के प्रति उनका लगाव दुर्लभ था। उनकी स्मृति को निरन्तर प्रकाशमान रखने के लिए विद्याश्री न्यास की स्थापना की गई है। न्यास के मुख्य उद्देश्य हैं-

  • भारतीय मनीषा, हिन्दी और संस्कृत साहित्य, भाषा-विज्ञान, लोक-साहित्य एवं संस्कृति, भारतीय कला एवं संगीत शास्त्र तथा लोकतत्त्व, हिन्दू धर्म-दर्शन, समकालीन चिंतन एवं इनसे जुड़े विषयों पर व्याख्यान माला तथा गोष्ठियों का आयोजन।
  • सम्बद्ध आयोजनों में प्रस्तुत लेखों एवं व्यक्त किए गए विचारों का प्रकाशन।
  • हिन्दी भाषा एवं वाचिक परंपरा का उन्नयन एवं विकास।
  • भारतीय विद्या, धर्म, कला, संस्कृति एवं साहित्य को समर्पित ‘चिकितुषी’ नामक शोध-पत्रिका का प्रकाशन।
  • पं० विद्यानिवास मिश्र के प्रकाशित साहित्य का पुनर्मुद्रण तथा अप्रकाशित साहित्य का मुद्रण
  • पं. विद्यानिवास मिश्र के ‘रचना-संसार’ का प्रकाशन।
  •  समान उद्देश्य वाली अन्य संस्थाओं के साथ सहयोग।